Surabhi SonamApr 1, 20133 min readतुम्हारा लैबकोटतुम्हारा लैबकोट मिला एक दिन तुम्हारी कुर्सी पर लटका हुआ खोया- खोया मायूस सा, चेहरा बिलकुल उतरा हुआ। किसी ने सुबह से उसका हाल ना पूछा था...
Surabhi SonamFeb 24, 20131 min readवो खोया बचपनवो खोया बचपन दिख जाता है कभी उन नन्हें क़दमों में जो स्कूल जाने से हिचकिचाते हैं। वो खोया बचपन दिख जाता हैं कभी दीवारों पर खिंची आड़ी...
Surabhi SonamFeb 19, 20132 min readमेरा छोटा सा घरमेरे गाँव के तालाब से सटे, जहां छोटी पगडण्डी जाती है, वहां, पेड़ों के झुर्मुठ के तले, एक है मेरा छोटा सा। एक बगिया है, जहां फूल खिले कुछ...
Surabhi SonamFeb 14, 20131 min readक्या चित्र बनाऊं मैंसोच रही हूँ सुबह से कि एक चित्र बनाऊं मैं कुछ विकृत, विषम और कुछ विचित्र बनाऊं मैं कई निरर्थक लकीर जोड़ कुछ सार्थक बनाऊं मैं कुछ रंग भरके...
Surabhi SonamFeb 14, 20131 min readपदक्रमबड़े-बड़े शहरों के वे बड़े-बड़े मकान कितना छोटा कर देते हैं हमें कभी कभी इनके ऊपर चढ़ कर अब तो पौधे से लगते हैं विशाल बड़गद के पेड़ भी...
Surabhi SonamFeb 14, 20131 min readअनुभवों की चढ़ाईcourtsey: trip to Mt. Bromo पहले पहर के सूरज के संग समेट के अपना सामान और बाँध के अपने जूते निकल पड़े थे हम घर के सामने की सुनहरी पगडण्डी...
Surabhi SonamFeb 14, 20131 min readबंद कमरेबंद कमरों की ख़ामोशी में कुछ यूँ डूबे रहते हैं हम अब कि ज़िन्दगी की पुकार दरवाज़े पर ही जाती है दब अपने अन्धकार में लुप्त रमे रहते हैं कुछ...
Surabhi SonamFeb 14, 20135 min readनाव और पतवारcourtsey: trip to Bintan, Indonesia हवा के थपेड़ों से झुके वो पेड़ नारियल के सुना रहे थे कहानी अपने बीते हुए कल की समुद्र की लहरें भी अपने...